दो करोड़ तक। विश्वास नहीं होता न ? पढ़िए यह कहानी।
संगीतकार एस.डी. बर्मन को फिल्म ‘मेरी सूरत तेरी आँखे’ (1963) के एक गीत के लिए कुशल तबला-वादक की जरूरत थी। उन्होंने पं. सामता प्रसादजी से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, क्योंकि तब शास्त्रीय कलाकार फिल्मों में काम करने को हेय दृष्टि से देखते थे।
तब बर्मन दादा ने दोनों के एक कॉमन फ्रेंड को सामता प्रसादजीको मनाने भेजा, लेकिन वे तब भी तैयार नहीं हुए। तब उस मित्र ने एक बीच का रास्ता निकालते हुए सामता प्रसादजी को सुझाव दिया कि आप इतना रुपया मांग लो कि वे दे न सकें, इससेे मेरी लाज और आपकी बात दोनों रह जाएंगी।

सामता प्रसादजीने गीत में तबला बजाने के लिए दस हजार रूपयों की मांग रखी, और आश्चर्य कि बर्मन दा तुरंत तैयार हो गए। उस समय के दस हजार रूपये आज के दो करोड़ के बराबर होते हैं।
बर्मन दा की स्वीकारोक्ति के बाद पं. सामता प्रसादजी निरुत्तर हो गए और इस प्रकार इस अमर गीत का जन्म हुआ, जिसे शैलेन्द्र ने लिखा था और मोहम्मद रफी ने स्वर दिया था।
गीत पूरा सुनियेगा, तभी तबले का पूरा आनंद आएगा और लगेगा कि पंडित सामता प्रसादजी ने इस कला के लिए दस हजार कम ही मांगे थे।
सुनिए वह गीत ……….👇