- शुक्रवार शाम 7:45 बजे शरद पवार ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नाम पर मुहर लगाई थी, रातभर में सब बदल गया
- शनिवार सुबह भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और राकांपा के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली
- शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- सुबह तक हमें भी अंदाजा नहीं था कि अजित ऐसा कदम उठाएंगे
- 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी, भाजपा के पास 105 सीटें, राकांपा के कितने विधायक भाजपा के साथ आएंगे , यह साफ नहीं
महाराष्ट्र में शनिवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वहीं, राकांपा नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार सुबह 5:47 बजे हट गया। इसके बाद 8 बजे फडणवीस और पवार ने शपथ ले ली। शिवसेना और राकांपा ने दोपहर में साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शरद पवार ने कहा कि हमारे किसी विधायक ने भाजपा को समर्थन नहीं दिया है। राजभवन गए राकांपा विधायकों को भी पता नहीं था कि अजित पवार उपमुख्यमंत्री बन जाएंगे। इसबीच, राकांपा के 9 विधायक रिलायंस के चार्टर्ड प्लेन से गुजरात भेजे गए। राकांपा ने विधायक दल का नया नेता चुनने के लिए बैठक बुलाई है। कांग्रेस भी विधायकों को अपनी सरकार वाले किसी राज्य में शिफ्ट कर सकती है।
अजित पवार के भाजपा के साथ जाने पर शरद पवार ने कहा कि यह उनका निजी फैसला है, राकांपा का इससे कोई लेना-देना नहीं। पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया- पार्टी और परिवार दोनों टूटे। कांग्रेस ने पूरे घटनाक्रम को लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना बताया। कांग्रेस ने कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। ये बेशर्मी की इंतेहा है।
अजित का फैसला पार्टी लाइन से अलग- शरद पवार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा, ‘‘कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा के नेता सरकार बनाने के लिए साथ आए। हमारे पास जरूरी नंबर थे। हमारे विधायक सरकार का समर्थन कर रहे थे। कुछ निर्दलियों के समर्थन से हमारा आंकड़ा 170 तक पहुंच गया था। अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन से अलग है। यह अनुशासनहीनता है। राकांपा का कोई भी नेता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। राकांपा के जो भी विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि वे दल-बदल कानून के प्रावधान में आ रहे हैं। इससे उनका विधायक पद खतरे में आ सकता है।’’

पवार ने यह भी कहा, ‘‘कुछ विधायकों ने हमें बताया कि सुबह साढ़े छह बजे उन्हें राजभवन ले जाया गया। कुछ ही देर में वहां भाजपा के समर्थन से अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अजित पवार का यह निर्णय राकांपा की नीतियों के विरुद्ध था। हमारे पास सभी दलों (राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना) के विधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र थे। राकांपा विधायकों का दस्तखत किया पत्र अजित पवार के पास था। लगता है कि अजित पवार ने वही पत्र राज्यपाल को दिखाया हैं। हालांकि, अजित के साथ राजभवन गए राकांपा के विधायक अब मेरे साथ हैं। भाजपा और अजित पवार अब विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। हम दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करेंगे, जिसका नेतृत्व शिवसेना ही करेगी।’’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘देश में लोकतंत्र का मजाक बन गया है। ऐसे ही चलता रहा तो आगे देश में कोई चुनाव कराया ही नहीं जाना चाहिए।’’
राकांपा विधायक राजेंद्र शिंगने ने कहा, “अजित पवार ने मुझे कुछ चर्चा के लिए बुलाया था। यहीं से मुझे कुछ अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया। जब तक हम कुछ समझ पाते, शपथ ग्रहण पूरा हो चुका था। मैं तुरंत पवार साहब (अजित पवार) के पास गया और कहा कि मैं शरद पवार और राकांपा के साथ हूं।’’
लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं हुआ, यह बेशर्मी की इंतेहा: कांग्रेस
- अहमद पटेल ने कहा- ”आज सुबह बिना बैंड बाजे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। ये महाराष्ट्र के इतिहास का काला दिन है। राज्यपाल ने कांग्रेस को मौका नहीं दिया। प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। मुझे कुछ गलत होने की बू आ रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना हुई। संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं। ये बेशर्मी की इंतेहा है। हम इसकी निंदा करते हैं।”
- ”हमने कल राकांपा-शिवसेना के साथ बैठक की थी। आज की बैठक से पहले सुबह जो कांड हुआ, उसकी आलोचना करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। हमारी तरफ से कोई देरी नहीं हुई है। अभी भी हमारी तरह से पूरे प्रयास होंगे, भाजपा को शिकस्त देंगे और दूसरी सरकार बनेगी। कांग्रेस के सभी विधायक एकजुट हैं। उनके टूटने की कोई संभावना नहीं है। राकांपा ने कुछ लोगों की लिस्ट दी थी, इसलिए यह घटना घटी है। भाजपा को हराने के लिए तीनों दल साथ आए थे। राकांपा अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई करेगी।”
‘बैकडोर से कब्जा करने की कोशिश नाकाम’
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘जब शिवसेना स्वार्थभाव से प्रेरित होकर अपनी 30 साल की दोस्ती तोड़ दे और घोर विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस और शिवसेना का दामन थाम ले तो वह लोकतंत्र की हत्या नहीं है। अगर अजित पवार के साथ बड़ा तबका आकर भाजपा को समर्थन देता है तो यह लोकतंत्र की हत्या कैसे हुई। यह देश की वित्तीय राजधानी पर बैक डोर से कब्जा करने की कोशिश थी। यह षडयंत्र था।’’