हौसले के आगे आसमान छोटा पड़ जाता है, यह कहा और सुना तो कई बार जाता है, लेकिन देखने को कम ही मिलता है। मंगोलिया की एक ओनोन (कोयल की प्रजाति) ने अपनी परवाज से इसे महसूस करने का मौका दिया है। मंगोलियन कुकू प्रोजेक्ट के तहत 29 अप्रैल को केन्या से उड़ान भरने वाले इस परिंदे ने हर दिन एक हजार किमी की उड़ान भरते हुए महज पांच दिन में ही पांच हजार किमी का सफर तय कर सोमवार को मप्र की सीमा में प्रवेश किया है।
प्रोजेक्ट के तहत ओनोन के माइग्रेशन के दौरान आवास, व्यवहार आदि पर शोध किया जा रहा है, ताकि पता लगाया जा सके कि उसके पसंदीदा स्थल कौन से हैं। कहां वह ठहरना पसंद करती है। सोमवार दोपहर ढाई बजे के आसपास ओनोन गुजरात में द्वारिका से आगे स्थित बराड़िया गांव की तरफ से मप्र में आई। यहां उसकी लोकेशन रतलाम से पहले कुंदनपुर के पास वरोठ माता मंदिर और जैन तीर्थ बिबड़ोद के पास मिली है। आश्चर्य की बात है कि ओनोन ने पूरा अरब सागर पार करते हुए 5000 किमी का सफर तय किया है।
एक साल पहले जून 2019 में मंगोलिया से कोनोन नेपाल के रास्ते भारत आया था। 7 सितंबर को यह प्रदेश के उत्तरी हिस्से में ग्वालियर के आंतरी, बिलौआ और पनिहार इलाके से गुजरते हुए राजस्थान में प्रवेश कर सिंध प्रांत के रास्ते अरब सागर की ओर आगे बढ़ गया था। इसके बाद यह ओमान, सउदी अरेबिया, यमन, इरीट्रिया, इथोपिया होते हुए केन्या और तंजानिया पहुंचा।

प्रोजेक्ट में भारत भी
मंगोलिया के वाइल्ड लाइफ साइंस एंड कंजर्वेशन सेंटर और ब्रिटिश ट्रस्ट ऑफ ऑर्निथोलॉजी के तहत मंगोलियन वैज्ञानिकों ने 2019 में 20 से ज्यादा पक्षियों के अप्रवास के दौरान उनकी दिनचर्या को जानने के लिए मंगोलियन कुकू प्रोजेक्ट शुरू किया है। 4 से 8 जून 2019 के बीच कोयल प्रजाति के 5 अलग-अलग पक्षियों के कंधों पर सैटेलाइट टैग लगाकर छोड़ा गया है। प्रोजेक्ट में इंडोनेशिया, मलेशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, न्यूजीलैंड भी सहयोगी हैं।