मध्यप्रदेश का इंदौर शहर कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देश के शहरों में शामिल है। शहर में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए इंदौर प्रशासन अब पूरे शहर की स्क्रीनिंग करने की तैयारी में है। युद्धस्तर पर कोरोना से लड़ने के लिए भीलवाड़ा मॉडल को अपनाया जाएगा। कंटेनमेंट एरिया की करीब 12 लाख आबादी के बाद अब इस क्षेत्र के बाहर की 12 लाख आबादी का सर्वे और जांच का काम बुधवार से शुरू होगा। इसके लिए एक हजार निगम के कर्मचारी 250 शिक्षक और बाकी आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की 1844 टीमें बनाई गईं हैं।
ये टीमें घर-घर जाकर लोगों से चार सवाल पूछेंगी। क्या आपके घर में किसी को खांसी है? किसी को सर्दी है?
क्या किसी को सांस लेने में परेशानी हो रही है? या हार्ट, बीपी और शुगर संबंधित कोई बीमारी है? यदी इनमें से किसी भी सवाल का जवाब हां में मिला, तो एक डॉक्टर उस व्यक्ति के घर पर आकर उसकी जांच करेगा।

निगमायुक्त आशीष सिंह ने बताया कि सभी मार्ग पर निगम के रूट प्रभारी के साथ तीन-तीन टीमें लगाईं गईं हैं। टीम को सर्वे में परेशानी ना आए, इसलिए कचरा गाड़ी वाले रूट को हमने एक यूनिट माना है।
यह टीम घर-घर जाकर यह जानकारी लेगी। हर वार्ड में एक डॉक्टर की भी तैनाती रहेगी।
एक बार सर्वे पूरा करने के लिए पांच से छह दिन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें पूरे शहर को टीम कवर करेगी। सर्वे पूरा होने के छह दिन बाद एक बार फिर से सर्वे किया जाएगा, ताकि किसी को बाद में लक्षण दिखे तो उसका भी पता चल सके।
भीलवाड़ा मॉडल
भीलवाड़ा में राजस्थान सरकार और जिला कलेक्टर ने त्वरित कदम उठाते हुए पूरे शहर में कर्फ्यू लगाकर युद्धस्तर पर कोरोना से लड़ने का एक्शन प्लान बनाया। सरकार ने यहां 15 दिन के कर्फ्यू के बाद तीन अप्रैल से 13 अप्रैल तक महा-कर्फ्यू लगाकर संक्रमण की चेन को तोड़ दिया था। इस बीच जिले में विभिन्न चरणों में सर्वे कर लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की गई और संदिग्धों की जांच की गई।