चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने राह भटक कर सीमा पार पहुंचे अरुणाचल प्रदेश के पांच युवकों को शनिवार को भारत को सौंप दिया है। भारत और चीन के सैनिकों में जारी तनातनी के बीच 10 दिनों में दूसरी बार ऐसा हुआ है जब दोनों देशों ने एक दूसरे के भटके नागरिकों को उनके घर पहुंचने में मदद की। हालांकि, इस दौरान दोनों देशों की सोच में एक बड़ा फर्क भी दिखा। भारतीय सैनिकों ने जहां 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चीनी नागरिकों की जान बचाई तो वहीं ड्रैगन ने रास्ता भटके पांच भारतीय युवकों को हिरासत में लिया, उनसे पूछताछ की और फिर लौटाने के बाद जासूसी का ठप्पा लगाने की नापाक कोशिश की है।
चीन की सरकार और सेना तो ऐसा नहीं कह पाई लेकिन चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से जासूसी की कहानी रच दी है। ग्लोबल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से कहा कि कथित तौर पर चीनी सेना द्वारा किडनैप किए गए या ‘साउथ तिब्बत’ (अरुणाचल प्रदेश) से गायब हुए पांच भारतीय इंटेलिजेंस स्टाफ हैं, जिन्होंने खुद को शिकारी बताया। अखबार ने कहा है कि इन लोगों ने हाल ही में भारत-चीन सीमा को पार किया और तिब्बत में घुस गए। भारतीय पक्ष अक्सर इस तरह अपने कर्मचारियों को भेजकर चीन की खुफिया जानकारी जुटाता है और चीन नियंत्रित इलाके में अतिक्रमण करता है। चीन सरकार के मुखपत्र ने यह भी कहा है कि चीनी पक्ष ने इन्हें हिरासत में लिया था और चेतावनी देकर छोड़ा जा रहा है।
हालांकि, चीन की सेना और वहां की सरकार की ओर से सीधे तौर पर इस तरह की कोई बात नहीं कही गई है। तेजपुर स्थित रक्षा प्रवक्ता ने युवकों को भारत को सौंपे जाने की पुष्टि करते हुए शनिवार को बताया कि सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद पांचों युवकों को किबितु में सेना के सुपुर्द कर दिया गया है। इन युवकों को वैश्विक महामारी कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पहले 14 दिन तक क्वारंटीन रहना होगा। क्वारंटीन की अवधि पूरी होने के उपरांत युवकों को उनके परिवारों को हवाले कर दिया जाएगा।
पांचों युवक 2 सितंबर से लापता थे। बाद में पता चला कि गलती से वे चीन की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। उसके बाद भारतीय सेना ने हॉटलाइन के जरिए चीनी सेना से उन्हें वापस करने का अनुरोध भेजा था। केंद्रीय खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरण रिजिजू ने शुक्रवार को ट्वीट करके कहा था कि कि चीन शनिवार को अरुणाचल प्रदेश के पांच युवकों को भारत सरकार को सौंप देगा।

भारत ने कैसे की थी मदद?
सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना के जवान उत्तरी सिक्किम में विपत्ति में घिरे चीनी नागरिकों के लिए मसीहा साबित हुए। नॉर्थ सिक्किम के पठार क्षेत्र में करीब 17,500 फीट की ऊंचाई पर चीन के तीन नागरिक रास्ता भटक गए थे। कंपकंपाती ठंडी और रास्ते से भटकने की पीड़ा के बीच भारतीय जवानों ने उनकी न सिर्फ मदद की, बल्कि उन्हें सुरक्षित तरह से इस विपत्ति से बाहर निकाला। इन तीन चीनी नागरिकों में महिला भी शामिल थी। सेना के जवानों ने उन्हें बचाने के लिए चिकित्सा सहायता, ऑक्सीजन, खाना और गर्म कपड़े दिए। इतना ही नहीं, सेना ने उन्हें उनकी मंजिल पर पहुंचाने के लिए उचित रास्ता बताया और मार्गदर्शन किया। भारत को ना तो उनमें कोई जासूस दिखा और ना ही कोई साजिश नजर आई। रास्ता भटके हुए लोगों की मानवीयता के साथ मदद की।
Source from Hindustan
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